Posts

Showing posts from August, 2021

9. Salok Bhagat Kabeer Ji Ke: 2 - Ang 1364 Dhan Shri Guru Granth Sahib Ji

Image
Devotee Kabeer Ji was considered of lowerly caste by people of his time. He was taunted and would have been made to realize his social class every moment of his life by world. An ordinary man would have grown angry and might have used this anger to take revenge on world. He would have become rebel. But Kabeer Ji seemed to ignored it and drowned himself in chanting and meditating on The Creator. He reached such pinnacle in spirituality that social class became meaningless. In fact he is thankful to Lord to bless him with social class which helped him to attune to The Lord. The words, Shabad, of Kabeer Ji teaches us: Social class is myth and the bigger myth is only people of special class holds right to chant The Creator, A man is known by his actions not by social class, Blissful is human soul which attunes to The Creator and such individuals just nullify rotten beliefs of society, If social class does not inspire an individual to remember Lord then it is worthless... Let us...

8. Baani Shri Guru Arjan Dev Ji Ki: Ang 1299 Dhan Shri Guru Granth Sahib Ji

Image
Ang 1299: Shri Guru Granth Sahib Ji Maharaj Baani Shri Guru Arjan Dev Ji Ki  ਕਾਨੜਾ ਮਹਲਾ ੫ ਬਿਸਰਿ    ਗਈ    ਸਭ    ਤਾਤਿ    ਪਰਾਈ    ॥  ਜਬ    ਤੇ    ਸਾਧਸੰਗਤਿ    ਮੋਹਿ    ਪਾਈ    ॥ ੧ ॥    ਰਹਾਉ    ॥ ਨਾ    ਕੋ    ਬੈਰੀ    ਨਹੀ    ਬਿਗਾਨਾ    ਸਗਲ    ਸੰਗਿ    ਹਮ    ਕਉ    ਬਨਿ    ਆਈ    ॥ ੧ ॥ ਜੋ    ਪ੍ਰਭ    ਕੀਨੋ    ਸੋ    ਭਲ    ਮਾਨਿਓ    ਏਹ    ਸੁਮਤਿ    ਸਾਧੂ    ਤੇ    ਪਾਈ    ॥ ੨ ॥ ਸਭ    ਮਹਿ    ਰਵਿ    ਰਹਿਆ    ਪ੍ਰਭੁ    ਏਕੈ    ਪੇਖਿ    ਪੇਖਿ    ਨਾਨਕ    ਬਿਗਸਾਈ    ॥ ੩ ॥ ੮ ॥ -------------------------------------------------------------------------- कानड़ा महला ५ बिसरि ...

7. How can soul-searching be beneficial to someone’s life?

Image
This is very good question. The difference between living human and corpse is an entity which is referred as soul. The soul is an observer to your actions and as per Indian Philosophy it is believed soul manifest into many living forms till it achieves salvation. Why it is important to do soul searching? Soul is separated from The Source but it is part of The Source. And it is connected to it. So by soul searching efforts are focussed to find that connection. And once connection is found The Source, Primal Formless God, is found. All the knowledge, all the virtues, all the peace transcends from The Source. But to find that connection an individual has to face his fears, his vices, his ego which are eager to tear him apart. It is not easy to sit in silence since noises of mind are more than any cacophony sounds an individual would have heard. So book help to understand what can be experienced and not to give up if you find it difficult to cope up with them. It is important t...

6. Baani Shri Guru Arjan Dev Ji Ki: Ang 811 Dhan Shri Guru Granth Sahib Ji

Image
Baani Shri Guru Arjan Dev Ji Ki: Ang 811 Ang 811: Shri Guru Granth Sahib Ji Maharaj Baani Shri Guru Arjan Dev Ji Ki   ਬਿਲਾਵਲੁ   ਮਹਲਾ   ੫   ॥ ਕੀਤਾ   ਲੋੜਹਿ   ਸੋ   ਕਰਹਿ   ਤੁਝ   ਬਿਨੁ   ਕਛੁ   ਨਾਹਿ   ॥  ਪਰਤਾਪੁ  ਤੁਮ੍ਹ੍ਹਾਰਾ  ਦੇਖਿ  ਕੈ  ਜਮਦੂਤ  ਛਡਿ  ਜਾਹਿ  ॥੧ ॥ ਤੁਮ੍ਹ੍ਹਰੀ   ਕ੍ਰਿਪਾ   ਤੇ   ਛੂਟੀਐ   ਬਿਨਸੈ   ਅਹੰਮੇਵ   ॥  ਸਰਬ   ਕਲਾ   ਸਮਰਥ   ਪ੍ਰਭ   ਪੂਰੇ   ਗੁਰਦੇਵ   ॥ ੧ ॥  ਰਹਾਉ   ॥ ਖੋਜਤ   ਖੋਜਤ   ਖੋਜਿਆ   ਨਾਮੈ   ਬਿਨੁ   ਕੂਰੁ   ॥  ਜੀਵਨ   ਸੁਖੁ   ਸਭੁ   ਸਾਧਸੰਗਿ   ਪ੍ਰਭ   ਮਨਸਾ   ਪੂਰੁ   ॥ ੨ ॥ ਜਿਤੁ   ਜਿਤੁ   ਲਾਵਹੁ   ਤਿਤੁ   ਤਿਤੁ   ਲਗਹਿ   ਸਿਆਨਪ   ਸਭ   ਜਾਲੀ   ॥ ਜਤ   ਕਤ   ਤੁਮ੍ਹ੍ਹ   ਭਰਪੂਰ   ਹਹੁ   ਮੇਰੇ   ਦੀਨ   ਦਇਆਲੀ   ॥ ੩ ॥ ਸਭੁ   ਕਿਛੁ   ਤੁਮ   ਤੇ   ਮਾਗਨਾ   ਵਡਭਾਗੀ ...

5. धन गुरु अमर दास - धन गुरु राम दास 🙏🙏🙏

Image
धन गुरु अमर दास - धन गुरु राम दास 🙏🙏🙏 थी काया वृद्ध ‘उनकी’, पर मुख पे था तेज महान, चले थे ‘बाबा’ तीर्थ को, करने गंगा स्नान, सहम गए कटु शब्द सुन के, कि ‘निगुरे’ की जून बुरी, चिंता में डूब गए, व्यर्थ तो नहीं गया जीवन कहीं, सुने जब ‘सतगुर’ के वचन, शांत हुआ मन तभी, नहीं रहूँगा अब ‘निगुरा’, मिल गई ज्योत ‘नानक’ की, त्याग के बंधन सारे, ‘खाडूर’ की ओर चल पड़े वैराग में भरकर टेक दिया माथा, जब पहुँचे ‘सतगुरु’ द्वारे, कर दिया सम्पूर्ण समर्पण, झोंक दिया ‘सतगुर’ की सेवा में, ‘सतगुर’ की सेवा सफल हुई, ‘सतगुर’ ने दे दिए वर अनंत, सौंप दी ‘नानक की गद्दी’, बोल उठा सारा ब्रहमंड, ‘धन गुरु अमर दास, धन गुरु अमर दास’, ‘गुर’ ने उचरी ‘बाणी’ ऐसी, डूब गए सभी‘आनंद’ में, तर गए जीव असंख्य, जब लगे गोइंदवाल में मेले, ‘अपने’ कोमल पगों पर, आ पहुँचे ‘भाई जेठा’, टिक गया मन ‘उनका’, देख और जान ‘गुरु’ की महिमा, ऐसा बरसा रस ‘गुर नगरी’ में, 'नाम’ का रंग 'उन्हें' लगा, रम गए ‘वो’ भक्ति में, रूप बन गए ‘गुरु’ का, बोल उठे ‘सतगुर’ भी तब, ‘इनके’ जैसा नहीं है दूजा, आगे बढ़कर ‘सतगुर’ ने, ‘गुर गद्दी’ ...

4. Baani Bhagat Kabir Ji Ki: Ang 870 Dhan Shri Guru Granth Sahib Ji

Image
 Ang 870: Shri Guru Granth Sahib Ji Maharaj Baani Kabir Ji Ki   ਗੋਂਡ   ॥ ਨਰੂ   ਮਰੈ   ਨਰੁ   ਕਾਮਿ   ਨ   ਆਵੈ   ॥   ਪਸੂ   ਮਰੈ   ਦਸ   ਕਾਜ   ਸਵਾਰੈ   ॥ ੧ ॥ ਅਪਨੇ   ਕਰਮ   ਕੀ   ਗਤਿ   ਮੈ   ਕਿਆ   ਜਾਨਉ   ॥   ਮੈ   ਕਿਆ   ਜਾਨਉ   ਬਾਬਾ   ਰੇ   ॥ ੧ ॥   ਰਹਾਉ   ॥ ਹਾਡ   ਜਲੇ   ਜੈਸੇ   ਲਕਰੀ   ਕਾ   ਤੂਲਾ   ॥   ਕੇਸ   ਜਲੇ   ਜੈਸੇ   ਘਾਸ   ਕਾ   ਪੂਲਾ   ॥ ੨ ॥ ਕਹੁ   ਕਬੀਰ   ਤਬ   ਹੀ   ਨਰੁ   ਜਾਗੈ   ॥   ਜਮ   ਕਾ   ਡੰਡੁ   ਮੂੰਡ   ਮਹਿ   ਲਾਗੈ   ॥ ੩ ॥ ੨ ॥ ---------------------------------------------------- गोंड   ॥ नरू   मरै   नरु   कामि   न   आवै   ॥   पसू   मरै   दस   काज   सवारै   ॥१॥ अपने   करम   की   गति   मै   किआ   जानउ  ...

3. Purpose of Life - Under Divine Light of Dhan Shri Guru Granth Sahib Ji

Image
  I came out of womb and cried. The first touch of air did not make me happy. Why? I never realized that. But I could hear laughter and congratulations. And of course I felt the warmth of my parents that eased out my anxiety. I felt secured and stopped crying never even trying to find oud, why did I cry? Well, I cried because I failed to understand my ‘purpose’ in pervious life and I am born again to pursue the same quest. Who knows if I shall re-born to cry or will find the ‘purpose’ and salvation which comes as a bonus after finding the ‘purpose’. But I am sure the world around me will bury the question ‘What is my purpose’ deep inside my consciousness. It will remain dormant in my consciousness without being touched. And I will waste this opportunity of human life. Above is the question which mankind is seeking since its advent on the planet. First humans roamed around to find the ‘purpose’. They would have thought that at some location of this planet they would find the answer....

2. Baani Bhagat Kabir Ji Ki: Ang 91 Dhan Shri Guru Granth Sahib Ji

Image
Ang 91: Dhan Shri Guru Granth Sahib Ji Baani Kabir Ji Ki ਸਿਰੀਰਾਗੁ   ਕਬੀਰ   ਜੀਉ   ਕਾ   ॥   ਏਕੁ   ਸੁਆਨੁ   ਕੈ   ਘਰਿ   ਗਾਵਣਾ ਜਨਨੀ   ਜਾਨਤ   ਸੁਤੁ   ਬਡਾ   ਹੋਤੁ   ਹੈ   ਇਤਨਾ   ਕੁ   ਨ   ਜਾਨੈ   ਜਿ   ਦਿਨ   ਦਿਨ   ਅਵਧ   ਘਟਤੁ   ਹੈ   ॥ ਮੋਰ   ਮੋਰ   ਕਰਿ   ਅਧਿਕ   ਲਾਡੁ   ਧਰਿ   ਪੇਖਤ   ਹੀ   ਜਮਰਾਉ   ਹਸੈ   ॥ ੧॥ ਐਸਾ   ਤੈਂ   ਜਗੁ   ਭਰਮਿ   ਲਾਇਆ   ॥  ਕੈਸੇ   ਬੂਝੈ   ਜਬ   ਮੋਹਿਆ   ਹੈ   ਮਾਇਆ   ॥ ੧॥   ਰਹਾਉ   ॥ ਕਹਤ   ਕਬੀਰ   ਛੋਡਿ   ਬਿਖਿਆ   ਰਸ   ਇਤੁ   ਸੰਗਤਿ   ਨਿਹਚਉ   ਮਰਣਾ   ॥ ਰਮਈਆ   ਜਪਹੁ   ਪ੍ਰਾਣੀ   ਅਨਤ   ਜੀਵਣ   ਬਾਣੀ   ਇਨ   ਬਿਧਿ   ਭਵ   ਸਾਗਰੁ   ਤਰਣਾ   ॥ ੨॥ ਜਾਂ   ਤਿਸੁ   ਭਾਵੈ   ਤਾ   ਲਾਗੈ   ਭਾਉ   ॥  ਭਰਮੁ   ਭੁਲਾਵਾ   ਵਿਚਹੁ ...

1. आस्था - धन्य श्री गुरु ग्रन्थ साहिब जी की कृपा से

Image
आस्था शब्द का अर्थ अत्याधिक गूढ़ है | हम जैसे नश्वर जीव इसे परिभाषित नहीं कर सकते | लेकिन हम सौभग्यशाली हैं कि महान पुरुषों ने इसे अपनी करनी और कथनी में भली भाँति उजागर किया है | इसलिए मैं नमस्तक होता हूँ धन्य श्री गुरु ग्रन्थ साहिब जी के सम्मुख और उनसे अरदास करता हूँ कि हमें इस शब्द को समझने की समर्थता प्रदान करें | आइए सर्वप्रथम गुरबाणी की कुछ पक्तियों का स्मरण करें: ਮੈ  ਆਸਾ  ਰਖੀ ਚਿਤਿ ਮਹਿ ਮੇਰਾ ਸਭੋ ਦੁਖੁ ਗਵਾਇ ਜੀਉ॥ मै  आसा  रखी चिति महि मेरा सभो दुखु गवाइ जीउ|| ਡਿਠੇ ਸਭੇ  ਥਾਵ  ਨਹੀ ਤੁਧੁ ਜੇਹਿਆ॥ डिठे सभे  थाव  नही तुधु जेहिआ॥ उपरोक्त पंक्तियों मैं आप सबका ध्यान दो शब्दों की ओर केंद्रित करना चाहूँगा | पहला शब्द है 'आसा' और दूसरा शब्द है 'थाव' | आसा का अर्थ है 'आशा - उम्मीद' और थाव का अर्थ है 'स्थान' | तो जिस स्थान पर आशा का उदय हो वहीँ 'आस्था' का जन्म होता है | अर्थात आस्था शब्द दो शब्दों पर आधारित है 'आशा' और 'स्थान' | अब यह जानना आवश्यक है कि 'आस्था' की उत्पत्ति कैसे होती है? क्या मनुष्य इसको जन्म देता है या मनुष्य ...